सरहद पर खड़ा हूँ मैं !!
This Post is created for Rakesh Kumar Chaudhary for his tribute to the Indian Soldiers on
the occasion of Independence Day
गाँव की गलियां और दोस्तों का साथ ,
बचपन के खेल और माँ की डांट ,
थक कर चूर सोना बेफिक्री में, चाहे जमीन हो या लकड़ी की खाट,
उस बेफिक्री उस लड़कपन को छोड़ कर ,
यादें कई दिल में समा कर ,
कैसे भी हो हालात
सरहद पर खड़ा हूँ मैं ,
कभी सर्दी , कभी गर्मी , कभी तूफ़ान , कैसा भी हो हाल ,
कुछ पल ,कुछ दिन ,कुछ महीने या फिर साल ,
डरता नहीं , झुकता नहीं , दिल में है बस तू ही मेरी माँ ,
तुझको बचाने हर तकलीफ से , हर दुश्मन से लड़ा हूँ मैं ,
कैसे भी हो हालात
सरहद पर खड़ा हूँ मैं ,
सरहद पर फुर्सत के कुछ पल , जब सुना रेडियो पर कुछ अपनों को ,
इक पल में टूट गया मैं , और टूटते देखा अपने सपनों को ,
खा कर गोली बचाया जिन्हें , और सीने से अपने लगाया जिन्हें ,
सहलाया प्यार से , अपनेपन से , हर दर्द भुलाने को जिन्हें ,
कुछ बेगानों ने उन जख्मों का इलज़ाम हम पर लगाया है ,
हर इलज़ाम सहने को , अपनों को बचाने की ज़िद्द पे अड़ा हूँ मैं ,
कैसे भी हो हालात ,
सरहद पर खड़ा हूँ मैं ,
सहने को हर दर्द बदन को मैंने तपाया है ,
दिल में कितना भी हो दर्द , उसे दिल में ही छिपाया है ,
सह कर चोटें पीठ पर भी अपनों से , अपनों को दुश्मनों से बचाया है ,
जख्मी है बदन , टूटा है दिल भी कभी ,
सिर्फ जिद्द है अपनों को बचाने की , इस ज़िद्द पे सालों से अड़ा हूँ मै,
कैसे भी हो हालात ,
सरहद पर खड़ा हूँ मैं ,
ऐ वतन वालो , शिकवा हो अगर कोई तो शिकायत करो अपनों की तरह ,
कभी टूटे न भरोसा देश का मेरे मुझ पर , टूटे सपनो की तरह ,
दर्द सताए तो सहलाये कोई , इलज़ाम लगें हज़ारों पर फिर भी अपनाये कोई ,
यह देश है मेरा , यह लोग मेरे है , इनके साथ हरदम खड़ा हूँ मैं ,
कैसे भी हो हालात ,
सरहद पर खड़ा हूँ मैं
Jai Jind
Jai Jind
Comments
Post a Comment